एशिया की मानवनिर्मित सबसे बड़ी झील हुई 60 साल की
मन्दसौर / गाँधीसागर बाँध का दुर्लभ दृश्य-बांध तत्कालीन चीफ इंजीनियर श्री ए के चार अधीक्षण यंत्री, सी एच सांघवी सिविल शिवप्रकाशम् इलैक्ट्रीकल के मार्गदर्शन में बना था।बांध की गुणवत्ता एवम् एशिया के.सबसे कम व्यय से बनने वाले बांध की समयसीमा मे पूर्ण होने पर चार साहब को पद्मश्री की उपाधि सै अलंकृत कर सम्मानित किया गया था । 19 नवंबर 1960 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के हाथों राष्ट्र को समर्पित किया गया । यह तिथि उनकी पुत्री इंदिरा गांधी की जन्मतिथि के कारण चयन की गई थी । बांध का मोडल खडग्वासला रिसर्च ,इन्स्टीट्यूट पूना द्वारा बनाया गया था और प्रारंभ मे इसे चंबल घाटी परियोजना (चंबल वेली प्रोजेक्ट्स)का नाम दिया गया था जिसे चार चरणों में पूरा किया जाना था प्रथम चरण में गांधी सागर, दूसरे मे राणा प्रताप सागर (रावतभाटा) , तीसरे मे जवाहर सागर(कोटा डेम), चौथे मे कोटा बैराज । पहले तीनों बांधों से विद्युत उत्पादन और चौथे से सिंचाई का लक्ष्य रखा गया था । कुल मिलाकर इंटरनेशनल कंट्रोल बोर्ड के निर्देशन में मध्यप्रदेश,और राजस्थान की धरती को सरसब्ज़ करना ।भारत विकास प्राधिकरण का यह दूसरा सपना पूरा हुआ। मंदसौर जिले में भानपुरा से 30 km दूर चंबल नदी पर बना गांधीसागर बांध इन दिनों चर्चा में है। क्योंकि अब यह उदयपुर से उज्जैन तक पर्यटन का मुख्य केंद्र है।
गांधी सागर बांध के बारे में...गांधीसागर बांध पर एक नजर
- योजना बनी- मार्च 1950 मेंं।
- शिलान्यास मार्च 1954 में।
- शिलान्यास किया- पं. नेहरू ने।
- योजना पूरी -19 नवंबर 1960 में।
- बनने में लगे थे 6 साल।
- लागत आई - 13.60 करोड़ रुपए।
- जल विद्युत गृह बना- 4.79 करोड़ में।
- जल ग्रहण क्षेत्र- 23025 वर्ग किमी है।
- बांध की लंबाई – 1685 फीट।
- बांध की ऊंचाई – 204 फीट।
- जलाशय का क्षेत्रफल – 660 वर्ग किमी।
- जल निकासी द्वार – शिखर द्वार 10, निचले द्वार 9।
- जलाशय में कुल जल भंडार – 7164.38 घनमीटर।
- अभी 564 जीडब्ल्यूएच कुल ऊर्जा का उत्पादन।
- करीब 427.000 हेक्टेयर कृषि भूमि पर सिंचाई।
सबसे अधिक नुकसान झेला नीमच जिले ने- बांध के निर्माण के समय अविभाजित मंदसौर जिले के 228 गांव डूब के कारण खाली कराए थे। विभाजन के बाद 169 गांव नीमच व 59 गांव मंदसौर जिले के प्रभावित हुए। नीमच के रामपुरा में बांध से कई लोग विस्थापित हुए, लेकिन कई इलाकों का भूमिगत जलस्तर भी बढ़ा।
सबसे ज्यादा फायदे में रहा राजस्थान- बांध से सबसे ज्यादा फायदा राजस्थान को हुआ है। वहां कई शहर में पेयजल की पूर्ति हो रही है। रावत भाटा का परमाणु केंद्र बांध के पानी पर निर्भर है।
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