कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में गए सिंधिया समर्थकों काे टिकट मिलना तय
ग्वालियर/भोपाल-- सिंधिया के प्रभाव वाली ग्वालियर-चंबल की सीटों को छोड़कर चुनाव में सागर, भोपाल, मालवा की 6 सीटें कांग्रेस कम अंतर से जीती थी। कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में गए सिंधिया समर्थकों काे टिकट मिलना तय है। साफ है कि वे कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाएंगे।
ग्वालियर-चंबल की सीटें
डबरा: तीसरी बार विधायक बनीं इमरती देवी ने भाजपा के प्रत्याशी कप्तान सिंह को 57 हजार 446 वोट से हराया। वे सिंधिया खेमे की हैं।
- ग्वालियर मुख्य: प्रद्युम्न सिंह तोमर ने 92 हजार 55 वोट हासिल कर भाजपा के जयभान सिंह पवैया को 21 हजार 44 वोट से हराया था, लेकिन अब सिंधिया भाजपा के हो गए हैं।
- ग्वालियर पूर्व: लगातार तीसरी बार लड़े कांग्रेस के मुन्नालाल गोयल ने भाजपा के सतीश सिकरवार को 17 हजार 819 वोट से हराया। उनके भाजपा में जाने से कांग्रेस को प्रत्याशी खोजने में दिक्कत आएगी।
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- सुमावली: भाजपा के अजब सिंह कुशवाह को 13 हजार 313 वोट से हराकर कांग्रेस के एंदल कंषाना ने 8.41% ज्यादा वोट हासिल किए थे।
- मुरैना और दिमनी : पिछले चुनाव में भाजपा के रुस्तम सिंह और शिवमंगल सिंह तोमर चुनाव हारे। अब भाजपा को बढ़त मिल सकती है।
- अंबाह: कमलेश जाटव ने निर्दलीय प्रत्याशी नेहा किन्नर को 7 हजार 547 वोट से हराया। यहां भाजपा के गब्बर सखवार तीसरे नंबर पर रहे थे।
- मेहगांव: भाजपा के राकेश शुक्ला को कांग्रेस के ओपीएस भदौरिया ने 25 हजार 814 वोट से हराकर 15.92% ज्यादा लिए थे। सिंधिया की वजह से यहां कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगेगी।
- गोहद: कांग्रेस प्रत्याशी रणवीर जाटव ने भाजपा के लाल सिंह आर्य को 23 हजार 989 वोट से हराया और 18.64% वोट ज्यादा लिए थे। अब भाजपा के लिए आसान होगी और कांग्रेस यहां कमजोर होगी।
भाजपा प्रत्याशी रजनी प्रजापति यहां कांग्रेस प्रत्याशी रक्षा सरोनिया से 39 हजार 896 वोट से हार गई थीं।
- करैरा : कांग्रेस प्रत्याशी जसमंत जाटव ने 64 हजार 201 वोट हासिल कर भाजपा प्रत्याशी राजकुमार खटीक को 14 हजार 824 वोट से हराया था, लेकिन अब कांग्रेस का वोट बैंक कम हो सकता है।
- पोहरी : भाजपा प्रत्याशी प्रहलाद भारती तीसरे नंबर पर रहे और कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश धाकड़ ने बसपा के कैलाश कुशवाह को 7 हजार 938 वोटों से हराया। बसपा यहां फिर जोर लगा सकती है।
- बमौरी: महेंद्र सिंह सिसौदिया ने भाजपा के बृजमोहन सिंह को करीब 28 हजार वोटों से हराया था। वे कांग्रेस में मंत्री भी रहे।
- अशोकनगर: भाजपा के लड्डूराम कोरी को जजपाल जज्जी ने 9 हजार 730 वोट से हराया था।
- मुंगावली: कांग्रेस से बृजेंद्र सिंह यादव ने भाजपा के कृष्ण पाल सिंह को 2 हजार 136 वोट से हराया था।
- जौरा : कांग्रेस से बनवारी लाल शर्मा ने बसपा के मनीराम धाकड़ को 15 हजार 173 वोट से हराया था और भाजपा प्रत्याशी सूबेदार सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे। शर्मा के निधन से यह सीट खाली हो गई है।
मालवा अंचल की सीटें
- सुवासरा: कांग्रेस के टिकट पर हरदीप डंग ने भाजपा के राधेश्याम पाटीदार काे हराया था। वे केवल 350 वोेट से ही जीत दर्ज कर सके थे। डंग ने दो बार भाजपा प्रत्याशी राधेश्याम पाटीदार को शिकस्त दी थी। उनके इस्तीफा देने का लाभ भाजपा को होगा।
- अनूपपुर: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे बिसाहूलाल सिंह भी मंत्री न बनाए जाने से नाराज थे। 2013 के चुनाव में रामलाल राैतेल ने उन्हें हराया था, लेकिन पिछले चुनाव में बिसाहूलाल ने राैतेल काे करीब 10 हजार वाेट से हराया था।
- आगर : इस सीट से भाजपा के मनोहर ऊंटवाल ने कांग्रेस के विपिन वानखेड़े को हराया था। इसके पूर्व भी इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है। ऊंटवाल के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई है। सहानुभूति लहर और सरकार गिरने का फायदा भाजपा को मिलेगा।
- बदनावर : राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने कांग्रेस से चुनाव लड़कर भाजपा प्रत्याशी भंवरसिंह शेखावत को हराया था। वे 40 हजार से ज्यादा मतों से जीते थे और बड़ी जीत दर्ज की थी। क्षेत्र में उनका प्रभाव है। कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद यहां पार्टी कमजोर होगी। कांग्रेस को उनका विकल्प खोजना होगा। भाजपा फायदा उठाएगी।
- हाटपिपल्या : इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मनोज चौधरी ने भाजपा के दीपक जोशी काे हराया था। वैसे इस सीट पर भाजपा का दबदबा रहा है, लेकिन इस चुनाव में चौधरी जीते थे। चौधरी ने 13 हजार से ज्यादा मतों से जोशी को हराया।
- सांवेर : स्वास्थ्य मंत्री रहे तुलसी सिलावट ने भाजपा के राजेश सोनकर को करीब तीन हजार मतों से हराया था। आमतौर पर इंदौर जिले की सीटों पर भाजपा का दबदबा रहा है। सिलावट ने जीत दर्ज कर भाजपा को झटका दिया था। उनके इस्तीफे से कांग्रेस को झटका लगा है।
- सांची: स्कूल शिक्षा मंत्री रहे प्रभुराम चौधरी कांग्रेस से चुनाव जीते थे। पूर्व में इस सीट से भाजपा के गौरीशंकर शेजवार चुनाव जीतते रहे हैं। 2018 में हुए चुनाव में उनके बेटे मुदित शेजवार को चौधरी ने करीब दस हजार वोटों से हराया था। चौधरी सिंधिया समर्थक
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